Search This Blog

Wednesday, January 26, 2011

reenakari: वतन

reenakari: वतन: " वतन ए वतन चले थे ,तेरे लिये की ये रास्ते कही और मुड चले ,कहेते थे जिसे देश प्रेम उससे दूर हो चले , भारत माँ को कराया था ,जंजीरों से ..."

No comments:

Post a Comment