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Tuesday, April 12, 2011

reenakari: इस सिलसिले ने मुझे ,

reenakari: इस सिलसिले ने मुझे ,: " खाब्वो ने हर मर्दफा मजबूर किया , आखो को मेरी पलके झुकाने को मजबूर किया , उम्मीदों ने पलकों को खुलने को मजबूर किया , अप..."

इस सिलसिले ने मुझे ,

 खाब्वो ने हर मर्दफा मजबूर  किया ,

आखो को मेरी पलके झुकाने को मजबूर किया ,

उम्मीदों ने पलकों को खुलने को मजबूर किया ,

अपनों  ने टूटे खाब्वो को देखने को मजबूर किया ,

दिल ने उनको समेटने को मजबूर किया ,

हर मर्दफा किसी ना किसी ने मजबूर किया ,

इस सिलसिले ने मुझे ,

जिंदगी को मज़बूरी का नाम देने को मजबूर किया ,

Sunday, April 10, 2011

जैसे चाँद की चांदनी होती ,

की काश  तेरे साथ की चाहत पूरी होती ,

जैसे चाँद की चांदनी होती ,




तुझे क्या बताऊ मैं ,

किस तरह बन जाती मैं ,



रहती साथ तेरे और ,

बदलो में भी गुम हो जाती मैं ,



बदलो में होकर भी गुम ,

बदलो के साथ ना जाती ,



होती पूर्णिमा ,होती अमावश्य ,

तेरे होने पर ही होती मैं ,





मेरे  अस्तित्व पे  भी  ,

तेरा ह़क होता ,



reenakari: की क्या पता बचा पाता मैं अपने व्यक्तित्व को ,

reenakari: की क्या पता बचा पाता मैं अपने व्यक्तित्व को ,: "तुने दिए जो तोफे मुझे ,बोलने मैं क्या बोलू उनको , बस इतना जरुर बयां करदू ,की तेरे तोफो को सजों ,कर रखने मैं , मैं बहुत कमजोर हुवा हु ,तेरी त..."

की क्या पता बचा पाता मैं अपने व्यक्तित्व को ,

तुने दिए जो तोफे मुझे ,
बोलने मैं क्या बोलू उनको ,

बस इतना जरुर बयां करदू ,
की तेरे तोफो को सजों ,कर रखने मैं ,

मैं बहुत कमजोर हुवा हु ,
तेरी तरह हु एक व्यक्तित्व मैं भी ,

आज तेरे तोफो की खातिर ,
अपने व्यक्तित्व से दूर हो चला हु,

दिए जो तोफे मुझे ,तो ये भी बता जाता ,
कैसे रखना था सजों के तेरे तोफो को ,

की क्या पता बचा पाता मैं अपने व्यक्तित्व को ,
जिसे कभी चाह था तुने ...,

Sunday, April 3, 2011

जो भारत मैं आया भारत का ही हो गया

जो  भारत मैं आया भारत का ही हो गया


प्राचीन काल से ही देखा गया है जो भी विदेशी भारत आया वो भारत की संस्कृति से प्रभावित हो कर भारत  के रंग में ही रच बस गया ,यहाँ पर आकर सब यही के होगये ,
चाहे वो आर्य हों जिन्होंने प्रथम बार भारत पर आक्रमण क्या ,चाहे इंडो -ग्रीक हो ,चाहे शक ,ईरानी  आदि कोई भी हों जो भी यहाँ आये वो यही बस गए ,जो भारत मैं आया भारत का ही होगया ,
भारत में एक बार आकर यहाँ से वापस जाना आसान नही ,
यही रहा भारत में आये "वर्ल्ड- कप " जो भारत से प्रभावित  हुए नहीं रहा  और भारत में ही रहे गया ,यहाँ आने के बाद संभव नहीं था की वो यहाँ से जा सकता और वर्ल्ड - कप ने भारत में ही रहने की ठान ली ,२८ सालो से इतंजार कर रहे इस वर्ल्ड -कप को भारत में आकर मजबूर होना पड़ा ,भारत में ही रहने को ,
हमारी टीम इंडिया ने जो कमाल दिखाया उसे देख कर पूरा भारत मानो जश्न में डूब गया ,
ऐसा त्यौहार मना जिसे न होली कहेगे, ना दीवाली ,ना क्रिश्मस ,ना इद ,ना बेसाकी या कोई और क्यों की यह कोई मजहवी त्यौहार नहीं था ,यह तो सब मजहबों से ,जात -पात ,धर्म से परे था एक ऐसा अनोखा त्यौहार जिसे हर एक हिन्दुस्तानी ने मनाया ,एक साथ मिल कर ,बम -पटाके,मिठाइयाँ ,ढोल -ढमाका,सब कुछ देखने को मिला मानो आज कोई गम ना हो ,बस जश्न ही जश्न पुरे भारत में ,किसी चुनाव जीत जैसा ना था की कोई एक पक्ष ही जश्न मना रहा हो ,हर एक पक्ष विपक्ष जश्न में डूबा था ,
कितना अच्हा लगा एक क्रिकेट ने कुछ समय के लिये सब को एक साथ जश्न मानाने पर विवश कर दिया ,

मैं अक्सर सोचती थी क्या कभी ऐसा कोई मुदा हो सकता है जिस पर पक्ष -विपक्ष जश्न मनाये ,स्वागत करे ,आज क्रिकेट ने वो मोका दिया ,
टीम -इंडिया की जितनी तारीफ की जाये वो कम होगी ,उम्मीद है ,की टीम इंडिया अभी और भी नई बुलंदियों को छुवे  गी ,फिर से ऐसे मोके देगी जहाँ पूरा देश एक हो कर एकता के साथ जश्न मनाये गा और भाई चारे को बढावा मिलेगा ,
जय हो !!!