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Tuesday, April 12, 2011

इस सिलसिले ने मुझे ,

 खाब्वो ने हर मर्दफा मजबूर  किया ,

आखो को मेरी पलके झुकाने को मजबूर किया ,

उम्मीदों ने पलकों को खुलने को मजबूर किया ,

अपनों  ने टूटे खाब्वो को देखने को मजबूर किया ,

दिल ने उनको समेटने को मजबूर किया ,

हर मर्दफा किसी ना किसी ने मजबूर किया ,

इस सिलसिले ने मुझे ,

जिंदगी को मज़बूरी का नाम देने को मजबूर किया ,

2 comments:

  1. इस सिलसिले ने मुझे ,
    जिंदगी को मज़बूरी का नाम देने को मजबूर किया

    खूब कहा आपने....बहुत बढ़िया

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  2. हर मर्दफा किसी ना किसी ने मजबूर किया ,


    इस सिलसिले ने मुझे ,


    जिंदगी को मज़बूरी का नाम देने को मजबूर किया
    bahut khoob kaha hai aapne .best of luck .

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