तुने दिए जो तोफे मुझे ,
बोलने मैं क्या बोलू उनको ,
बस इतना जरुर बयां करदू ,
की तेरे तोफो को सजों ,कर रखने मैं ,
मैं बहुत कमजोर हुवा हु ,
तेरी तरह हु एक व्यक्तित्व मैं भी ,
आज तेरे तोफो की खातिर ,
अपने व्यक्तित्व से दूर हो चला हु,
दिए जो तोफे मुझे ,तो ये भी बता जाता ,
कैसे रखना था सजों के तेरे तोफो को ,
की क्या पता बचा पाता मैं अपने व्यक्तित्व को ,
जिसे कभी चाह था तुने ...,
अच्छे भाव। अच्छी भावनाएं।
ReplyDeleteइसी को तो कहते हैं प्यार का अहसास।
पर फिर वही बात, सुधार की जरूरत है शब्दावली में।
खैर
शुभकामनाएं। लिखती रहो, सुधार आ जाएगा।