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Thursday, September 22, 2011

बरस ने दो


आज बरस के बरसात बरस ने दो
भरा जो गुब्बार बह जाने दो
हो जाने दो खाली आज इन काले बदलो को
मायूसी को आज बरसने  दो ...
हाँ ...इसी से कोई बंजर ज़मी लहराई होगी ...
हाँ ...इसी से कोई कलि खिलखिलाई होगी ,
इसी मायूसी से कोई बादल बना होगा
 
फिर किसी की फ़िक्र में उमड़ा आज बरसात को ...
आज इसे बरसने दो ...
मेरे दिल को जी भर कर रोने दो ...
क्या पता किसी की दुआ का असर होगा
जो इन अश्को का बहना होगा ...
इस बरसात को बरसने दो मेरे अश्को को आज बहने दो ...बहने दो ...,

Wednesday, September 21, 2011

बदलाव



वक़त के बदलने पर कभी बदलता है कुछ
कभी कुछ बदलने पर वक़्त बदलता है
वक़त हो या कुछ हो पर
एक दिन सब बदलता है ..
कुछ भी स्थिर नही पाता मैं 
जहाँ भी जाऊ कुछ बदला पाता हूँ मैं
कुछ छोड़ कर जाऊ किसी आसं में मैं
जब  लोट  आने पर  बदला पाता हूँ मैं
निराश सा दिल मेरा कल  जैसा  कुछ चाहता
जो लोट कर ना आ पाए उसकी आस में मैं भी कभी बदल जाता हूँ
ऐसा देख कभी खुश तो कभी मायूस होता हूँ
पर जो तय होता है वो बस बदल जाना ही है ....जो  मुझे मिले वो बदलाव है जो तुम्हे मिले वो बदलाव है
कभी खुशनुमा कभी मायूस पर जो भी हो बदलाव है

Sunday, September 4, 2011

coffee हाउस और दोस्तों का जमावड़ा

आज फिर coffee हाउस और दोस्तों का जमावड़ा हुआ
वही हो हाला और टांग खिचाई हुआ
मोज मस्ती का दोर फिर ख़तम भी हुआ
शांत पड़ा रास्ता फिर तय हुआ
और सोमवार को एतराज हुआ
जल्दी जल्दी की धुन फिर कानो में गूंजी
सुबहा की चाय फिर भुली
जस -तस और अपने काम पर जाना हुआ
मंगलवार तक सब मंगल हुआ
भुलाई यादें इस इतवार की
फिर काम का मुड हुआ
ब्रहस्पतिवार पर कार्य योजनाओ का विस्तार हुआ
शुक्रवार को शुक्र है रिजल्ट अच्हा हुआ
शनिवार को coffee हाउस की यादों की खुशबु आई
फिर इतवार का इतजार हुआ
इतवार को एतबार हुआ
आज छुटी है फिर दिल गार्डन गार्डन ...
दोस्ती यारी की पारी अभी बाकि है
एक कप कोफ़ी अभी बाकि है ...