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Sunday, April 10, 2011

जैसे चाँद की चांदनी होती ,

की काश  तेरे साथ की चाहत पूरी होती ,

जैसे चाँद की चांदनी होती ,




तुझे क्या बताऊ मैं ,

किस तरह बन जाती मैं ,



रहती साथ तेरे और ,

बदलो में भी गुम हो जाती मैं ,



बदलो में होकर भी गुम ,

बदलो के साथ ना जाती ,



होती पूर्णिमा ,होती अमावश्य ,

तेरे होने पर ही होती मैं ,





मेरे  अस्तित्व पे  भी  ,

तेरा ह़क होता ,



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