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Wednesday, July 31, 2013

 एकता में भिन्ता



जिंदगी गुजरते जा रही है 
पर वक़्त ठहर  गया 

सिमटा  सा एक पल 
भवर बन गया 

जीवन की कश्ती डूबती जा रही 
 पर   बस्ती की आबादी आबाद हो रही 

कहने को लोग बस्तें हैं 
पर बिखराव के चिन्ह दीखते हैं 

 दिलो से दूर होतें लोगो का 
जिस्मो का साथ हुआ 

 सभ्यता , संस्कृति का पड़ाव पर कर 
 आधुनिकता का  उदय हुआ 

सब राग झूठे लगे 
जब रिमिक्स  का प्रचार हुआ 


होली ,दिवाली ,ईद सभी कम पड़े 
पर अब वेलेन्टाईन , freinshipday  का  ईजाद हुआ 


पहले सब का एक दिन था 
अब सबके लिये एक एक दिन हुआ 

एक स्वर  गूंजता था 
भिन्ता में एकता ,

 पर अब एकता में भिन्ता हुआ 










Tuesday, July 30, 2013






 साथी

चेहरा    जो कोई   ओझल हो गया 
ओड़  कर ओडनी  उसका साथी भी सो गया 

निर्जीव  सा रहा वो जीवधारियों में 
एक के बाद एक उस पर सितम हो गया 

कुछ कमी थी कभी  , अब कुछ भी नहीं रहा 
ये बस कुछ से कुछ तक का सफ़र बहुत भारी रहा 

एक एक पहर विनाशकारी रहा 
पतवार छोड़ पतवारी  न रहा 
फिर भी कश्ती का सफ़र लहेरो पर जारी रहा