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Thursday, May 26, 2011

एक कश्ती सी रीनाकारी

एक कश्ती  सी रीनाकारी ,फिरती साहिल की तलाश में ,

कुछ नज़र में आया है ,शायद कोई किनारा आया है ,

कुछ देर ठहर यहाँ थकान उतार लू ,

फिर ना जाने कहा साहिल तलाशना है ,

एक कश्ती सी रीनाकारी ,फिरती साहिल की तलाश में ,

Wednesday, May 25, 2011

सफ़र पर कुछ और आगे आना हुआ ,

मुदत से दुआ कोई आज काबुल हुई ,

फिर एक मर्दाफा कोई महफ़िल कायल हुई ,

आज फिर महफ़िल में उनका आना जो हुआ ,

नज़रो से नजरो का मिलना हुआ ,

शमा जो बुझ गई थी ,फिर से रोशन  शमा हुआ ,

पल भर भी ठहेरे न आज भी ,

अपनी फितरत से मजबूर ,

फिर रुसवा कर महेफिल को उनका जाना हुआ ,

आज फिर कुछ अधुरा ही सफ़र पर कुछ और आगे आना हुआ ,


Tuesday, May 10, 2011

फिर कुछ ज्यादा तो वो भी कहा सह पाएगा,

आज एक पल लोट आया ,
कल जो बिता ,आज फिर मिला ,
एक मर्दाफा फिर जीलू ,
कल कुछ अपूर्ण था ,
आज फिर पूर्ण कर लू ,
जाना फिर है उसको ,
कुछ देर मुलाकात कर लू ,
जब भी  गुज़रे गा इस रहा से मेरी ,
हसरतो को अपनी  फिर जियेगा ,
कुछ पल ही भेट मिलेगे ,तो क्या ?
इन् पलो को हर महफिल में गुनगुनाएगा ,
जिन्हें कभी नही भुला पायेगा ,
मेरी किस्मत में इतना ही सही ,
फिर कुछ ज्यादा तो वो भी कहा सह पाएगा,




Tuesday, May 3, 2011

"बुझ गई लादेन की लालटेन "




पाकिस्तान के abbottabad  में अमेरिका की   सि ए अल  नोसेना ने लादेन को मर डाला ,लादेन की लालटेन तो बुझ गई ,पर पाक के सामने भी इस लालटेन के बुझने से कई सवाल  खड़े हो गए हैं ,
क्या ऐसा हो सकता है की पाक के एक मुख्य शहर में एक लम्बे अरसे लादेन मोजूद था और पाक को इसकी भनक भी नही होगी ?
पाक हमेशा ऐसी बताओ को नकारता रहा है की उसके देश में आतंकवादी पनहा  लेते हैं ,
तो आज क्या बयां होता है ,ये  पाक के लिये दुर्भाग्यपूर्ण हैं ,अब पाक को अपनी मजबूरियों को छोड़ कर ,आतंकवाद के खिलाफ एक मोर्चा खोल लेना चाहिए ,
क्या पाक को  अब मुंबई हमलो के दोषियों को भारत को सोंप नही देना चाहिए ,?
यदि पाक ऐसा नही कर पा रहा तो  ,क्या भारत को भी अमेरिका के  जैसा  कदम उठाना होगा ,जब अमेरिका अपने दोषियों को ऐसे अभियान से मिटा देता है , तो क्या भारत ऐसा नही कर सकता ,?
" वो करे तो रास लीला ,हम करे तो कैरेक्टर डिला "
भारत को तो अमेरिका एक हद में रहेने को सिखाता है और खुद सब हदों को तोड़ देता है ...,९/११ के हमलो के बाद अमेरिका को आतंकवाद से लड़ने की याद आई और भारत जो ऐसे खतरों के साथ रहेता आया है ,उसको हद में रहना है ,भारत को अपने दोषियों के पन्हागारो से गिडगिडा कर उनसे दोषियों को सोपने की फरियाद करनी पड़ती है ,
पर अमेरिका को ४० मिनट काफी है अपने दोषी को सजा देने को और भारत को ४० साल भी कम पड़ेगे अपने दोषियों को सजा देने को ..,