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Thursday, August 22, 2013

धार्मिक भावना वो थी जो सिता ने दी

 धार्मिक भावना वो थी जो सिता ने दी


आसाराम संत पर एक नाबालिग के यौन शोषण का आरोप लगा है , जिसकी आई.एफ.आर भी र्दज हो गयी और वह पीड़ित बच्ची भी उपस्थित है , धारा – ३७६,३४२,५०६ लगाई गयी फिर भी अभी तक आसाराम को गिरफ्तार नहीं किया गया ...आखिर क्यों..? यदि कोई ड्राक्ट्रर , पुलिस , राजनेता , अध्यापक , अफ्सर आदि पर ये आरोप लगे होते तो वे कब के गिरफ्तार किए जा चुके होते ...किन्तु क्योंकि आसाराम एक संत है , तो उनका मामला धार्मिक भावना से जुड़ा हुआ है ...पुलिस को भय है उनके उन तमाम अनुयायियों का जो बवाल कर सकतें है ... वाह !  क्या खूब है बल्कि वे सच्चे अनुयायी है तो अपने आप से सहयोग करना चाहिए, आसाराम को आगे आकर उनसे बवाल ना करने को कहना चाहिए , उन पर लगा आरोप सच हैं या झूठ इसका फैसला कानून कर लेगा ...किन्तु एक संत को अपने संत होने का प्रमाण देने की अवश्कता ना हो किन्तु कथनी और करनी में फर्क नहीं होना चाहिए... वे ये जानते होंगें कि सच की हमेशा जीत होती हैं..,फिर यदि उन पर आरोप है तो पूर्ण जाँच कराना उनका धर्म है ...जैसे सिता मईयां ने अपने उपर लगें आरोपों को दूर करने के लिए अग्नि परिक्षा दी और राम जी ने भी ये विश्वास करतें हुए कि सिता सत्य है फिर भी केवल समाज के लिए समाज कि नजरों के सामनें उनको अग्नि परिक्षा देने से नहीं रोका ...कुछ ऐसा ही उदहारण आज आसाराम को गिरफ्तार होकर शान्तिपूर्ण ढ़गं से देना चाहिए ...धार्मिक भावना वो थी जो सिता ने दी ...ये नहीं जो आज धार्मिक भावना के भय से कोई अग्नि परिक्षा ना दें ...

Wednesday, August 21, 2013

आबरू

आबरू



एक के साथ एक मुफ्त है,
स्त्री का जन्म सुस्त है ,

नारी की गाथा गाता ,
नारी के सम्मान में , ये शब्द

मुछों का सवाल ,ये शब्द
जात – पात की मशॅाल , ये शब्द
नारी का साथ  है , ये शब्द
उसका हाल है , ये शब्द


नारी को सम्मान से ,
सामान करता , ये शब्द
ना सात फेरे अग्नि के , ना डौली कि स्वारी ,
फिर भी उसका जीवनसाथी , ये शब्द ,


समाज ने ये खेल खेला
इस शब्द का जाल फेंका ,
आबरू शब्द ये मिला ,
आबरू आबरू का गान

स्त्री का जन्म सुस्त है ,

एक के साथ एक मुफ्त है

स्त्री का जन्म सुस्त है ,