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Thursday, May 26, 2011

एक कश्ती सी रीनाकारी

एक कश्ती  सी रीनाकारी ,फिरती साहिल की तलाश में ,

कुछ नज़र में आया है ,शायद कोई किनारा आया है ,

कुछ देर ठहर यहाँ थकान उतार लू ,

फिर ना जाने कहा साहिल तलाशना है ,

एक कश्ती सी रीनाकारी ,फिरती साहिल की तलाश में ,

7 comments:

  1. चलो अच्‍छा है किनारा तो नजर आया....

    अच्‍छी रचना....

    अच्‍छा प्रयास...

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  2. Deep thinking! good use of urdu words.

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  3. reena ji bahut sundar dhang se aapne apne man ke bhavon ko abhivyakt kiya hai.badhai.

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  4. एक कश्ती सी रीनाकारी ,फिरती साहिल की तलाश में ,
    कुछ नज़र में आया है ,शायद कोई किनारा आया है ,
    कुछ देर ठहर यहाँ थकान उतार लू ,
    फिर ना जाने कहा साहिल तलाशना है ,
    एक कश्ती सी रीनाकारी ,फिरती साहिल की तलाश में

    वाह,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  5. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति| धन्यवाद|

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