साथी
चेहरा जो कोई ओझल हो गया
ओड़ कर ओडनी उसका साथी भी सो गया
निर्जीव सा रहा वो जीवधारियों में
एक के बाद एक उस पर सितम हो गया
कुछ कमी थी कभी , अब कुछ भी नहीं रहा
ये बस कुछ से कुछ तक का सफ़र बहुत भारी रहा
एक एक पहर विनाशकारी रहा
पतवार छोड़ पतवारी न रहा
फिर भी कश्ती का सफ़र लहेरो पर जारी रहा
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