वतन
ए वतन चले थे ,तेरे लिये की ये रास्ते कही और मुड चले ,कहेते थे जिसे देश प्रेम उससे दूर हो चले ,
भारत माँ को कराया था ,जंजीरों से मुक्त ,
उन शहीदों की यादो को दफ़न कर चले ,
आखण्ड अमर ज्योति से कर सलामी ,आखे चुराते हम चले ,दोसी दोसी करते ओरों को हम खुद दोसी बन चले ,
मेरे वतना क्या होगा तेरा ,
हर एक पुत अब कपूत बने ,
ए वतन चले थे ,तेरे लिये की ये रास्ते कही और मुड चले ,कहेते थे जिसे देश प्रेम उससे दूर हो चले ,
भारत माँ को कराया था ,जंजीरों से मुक्त ,
उन शहीदों की यादो को दफ़न कर चले ,
आखण्ड अमर ज्योति से कर सलामी ,आखे चुराते हम चले ,दोसी दोसी करते ओरों को हम खुद दोसी बन चले ,
मेरे वतना क्या होगा तेरा ,
हर एक पुत अब कपूत बने ,
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। मुझे फालो करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteअतुल श्रीवास्तव
रीना जी, आप शब्द पुष्टिकरण को हटा लें इससे आपके पोस्ट में कमेंट करने वालों को आसानी होगी।
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