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Tuesday, May 3, 2011

"बुझ गई लादेन की लालटेन "




पाकिस्तान के abbottabad  में अमेरिका की   सि ए अल  नोसेना ने लादेन को मर डाला ,लादेन की लालटेन तो बुझ गई ,पर पाक के सामने भी इस लालटेन के बुझने से कई सवाल  खड़े हो गए हैं ,
क्या ऐसा हो सकता है की पाक के एक मुख्य शहर में एक लम्बे अरसे लादेन मोजूद था और पाक को इसकी भनक भी नही होगी ?
पाक हमेशा ऐसी बताओ को नकारता रहा है की उसके देश में आतंकवादी पनहा  लेते हैं ,
तो आज क्या बयां होता है ,ये  पाक के लिये दुर्भाग्यपूर्ण हैं ,अब पाक को अपनी मजबूरियों को छोड़ कर ,आतंकवाद के खिलाफ एक मोर्चा खोल लेना चाहिए ,
क्या पाक को  अब मुंबई हमलो के दोषियों को भारत को सोंप नही देना चाहिए ,?
यदि पाक ऐसा नही कर पा रहा तो  ,क्या भारत को भी अमेरिका के  जैसा  कदम उठाना होगा ,जब अमेरिका अपने दोषियों को ऐसे अभियान से मिटा देता है , तो क्या भारत ऐसा नही कर सकता ,?
" वो करे तो रास लीला ,हम करे तो कैरेक्टर डिला "
भारत को तो अमेरिका एक हद में रहेने को सिखाता है और खुद सब हदों को तोड़ देता है ...,९/११ के हमलो के बाद अमेरिका को आतंकवाद से लड़ने की याद आई और भारत जो ऐसे खतरों के साथ रहेता आया है ,उसको हद में रहना है ,भारत को अपने दोषियों के पन्हागारो से गिडगिडा कर उनसे दोषियों को सोपने की फरियाद करनी पड़ती है ,
पर अमेरिका को ४० मिनट काफी है अपने दोषी को सजा देने को और भारत को ४० साल भी कम पड़ेगे अपने दोषियों को सजा देने को ..,

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