मेरे लोकतंत्र में क्या हो रहा है ...कोई किसी तरह तो कोई किसी तरह इसे चोटिल कर रहा है कोई कितनी जोर से इस पर चोट कर रहा है.., यह तय करना बेहद मुश्किल है ...,बाबा राम देव की अधूरी समझ का दोष कहे या सरकार की अपनी जान बचाने की कोशिश या जिन लोगो का करोड़ो का धन स्विज़ बैंक में विदेशो में है उनके कारण लोकतंत्र चोटिल हो रहा है या जो लोग वोट के अधिकार का सही इस्तमाल नही करते या जो अधिकारी लोकसेवा के नाम पर अपने परिवार की सेवा करते हैं ...,किसे दोष दे ????
''हर एक दोषी दिखता मेरे देश के शहीदों की क़ुरबानी का मजाक उडाता लगता है ,
मेरे वतन पे जो कल मिटे उनकी मज़ारों पर मेले लगाता लगता है ,
किस से कोई दुवा करू या कोई न्याय की फरीयाद करू अब तो न्याय पालिका के न्यायाधीश भी कुछ रुसवा लगते हैं ,
मेरे लोकतंत्र को कोन सम्भालेगा जब सम्भालने वाले ही सम्भल ना पा रहे हो "
क्या फिर से कोई भगत सिंह ,देस गुरु ,सुख देव ,लाला लाजपत जैसे देश भगतो का अवतार जन्म हो पायेगा !!!
क्या फिर से देश भगती के गीतों का राग गुनगुनाएगा !!!
क्या फिर से कोई मेरी भारत माता को भ्रष्टाचार की बेड़ियों से आजाद करा पायेगा !!!
इस बार कुछ अलग है पहले विदेशी थे दुश्मन आज देशी ही लगे है देश को लुटने में मेरे अपने ही लगे हैं ...
दुश्मन का यदि पता हो या दुश्मन गैर हो तो उसे पकडना या उससे पार पाना आसान होता है पर जब अपने ही दुश्मन हों तो क्या करें...
ReplyDeleteमौजूदा दौर में ऐसा ही हो रहा है....
अपने ही लोग हैं....
लूट रहे हैं...
अच्छा चिंतन
thanx atul ji sach to hai koi kya kare
ReplyDeleteलुटेरों की बस्ती में कैसे ये धर्म इमान फंसा
ReplyDeleteकानूनी सिपाही जब देखा रिश्वत में पूरा डूबा सा
इस दौर में दिल भी टूट रहा लगता है दम भी घुटता सा
लकिन
उम्मीद पे दुनिया कायम है अब होगा कुछ तो अच्छा सा
गरीब फिर रोटी खायेगा सच्चा न लटके फंसी पर
मजबूरी में जिल्लत सह कर ना काम करे कम वेतन पर
गर खुदा कही पर रहता है तो करम वो ही फरमाएगा
क्योकि
उम्मीद पे दुनिया कायम है वो दिन भी कभी तो आएगा
मत आस छोढ़ना हिम्मत रख
पापी न बनना पाप ना कर
हाथों के हुनर पर शक ना कर
मंजिल तू भी फिर पायेगा
उम्मीद पे दुनिया कायम है सुकूं दिल को भी आएगा
thanx 4 comment ...vry nice lines realy gud
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