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Tuesday, August 23, 2011

आज भी क्यों



आज भी क्यों इतनी तन्हाई लग रही है
साथ है कोई फिर भी साथ ढूंड रही हूँ
मुझे पाना चाहता है कोई ...
और मैं फिर भी खोना चाहती हूँ ..
मिलकर चलना था साथ उसको मेरे
फिर क्यों कुछ वक़्त तन्हा है  साथ मेरे ...
मेरे साथ होकर भी ...
उसका मन ..मेरे मन सा क्यों नही ..
है अपना वो फिर भी समझता नही ..
जरूरत है आज उसकी और उसके पास वक़त नही ..
साथ है कोई और साथ नही ..

4 comments:

  1. इसी का नाम जिंदगी है।

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  2. बहुत ही सुंदर....लाजवाब।

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

    ReplyDelete