आज बरस के बरसात बरस ने दो
भरा जो गुब्बार बह जाने दो
हो जाने दो खाली आज इन काले बदलो को
मायूसी को आज बरसने दो ...
हाँ ...इसी से कोई बंजर ज़मी लहराई होगी ...
हाँ ...इसी से कोई कलि खिलखिलाई होगी ,
इसी मायूसी से कोई बादल बना होगा
फिर किसी की फ़िक्र में उमड़ा आज बरसात को ...
आज इसे बरसने दो ...
मेरे दिल को जी भर कर रोने दो ...
क्या पता किसी की दुआ का असर होगा
जो इन अश्को का बहना होगा ...
इस बरसात को बरसने दो मेरे अश्को को आज बहने दो ...बहने दो ...,
भरा जो गुब्बार बह जाने दो
हो जाने दो खाली आज इन काले बदलो को
मायूसी को आज बरसने दो ...
हाँ ...इसी से कोई बंजर ज़मी लहराई होगी ...
हाँ ...इसी से कोई कलि खिलखिलाई होगी ,
इसी मायूसी से कोई बादल बना होगा
फिर किसी की फ़िक्र में उमड़ा आज बरसात को ...
आज इसे बरसने दो ...
मेरे दिल को जी भर कर रोने दो ...
क्या पता किसी की दुआ का असर होगा
जो इन अश्को का बहना होगा ...
इस बरसात को बरसने दो मेरे अश्को को आज बहने दो ...बहने दो ...,
बरसने दो.....
ReplyDeleteअश्कों को बहने दो......
गहरे जज्बात।
सुंदर तस्वीर।
behad bhawpurn......
ReplyDeleteजितने खूबसूरत शब्द हैं उनते ही उन्नत भावों से सजाया है. शब्द नहीं हैं मेरे पास बयान करने के लिए
ReplyDelete......कविता अच्छी लगी ।