womenday जब सुनती हु ,तो अजीब सा एसास होता है ,मैं स्वय भी इसी दायरे में आती हु जो मेरे लिये भी मनाया जाता है ,पर क्यों ? अब इसको मनाया कैसे जाये ,birthday के जैसे cake काट कर या ..valenteinday के जैसे DATE मारकर ...,
बेहद सोचनिये विषये है और उसे मनाने की बाते हो रही हैं ,चलो भाई क्या बस कुछ महिला संगटनो के दुआर कुछ आयोजन आयोजित कर दे ,कुछ महिलाओ के पक्ष की , हक़ की बाते करदे
..,
आज अपनी पढाई सम्बन्धी कक्षा में गई तो अध्यापक भी महिला दिवस पर शुभ-कामनाए दे रहे थे ,कुछ विधार्थी उनके विचारो में प्रतिरोध उत्पन कर रहे थे ,क्यों की वो गम्भीर विषये 'महिला दिवस 'को दिवस मानकर मनाने के समर्थन में केवल ना थे ,
कुछ सुधार प्रगतिशील और वास्तविक रूप में भी अवश्येभामी है ,
घर लोटी net -connect किया f .b पर पहुची दोस्तों की पोस्ट women -day पर ,
hummm ...कल से सोच रही हु क्या लिखू इस विषये पर ...सब की लेखनी देख कर लगा ,मैं भी कुछ लिखू ,और फिर ये मेरा ही दिन है ,अपने दिन पर मुझे लिखने का हक़ है ,पर समझ नही आ रहा सब किताबी बाते लिखू ? कही जयदा लम्बा विषये रहा तो कोण पड़ेगा ...सब ऊब जायेगे ...,आखिर एक '' नारी '' का विषय पढ़ कर करेगे क्या ,१०० सालो से वही सब लिखा जा रहा है ,क्यों मनाया जाता है ,किस लिये ,कब से ,संसार में महिलाओ की स्तिथि क्या ,कोंन काल में किस स्तिथि में थी ,नारी ....आदि आदि ,
मुझे लगता है आज एतिहासिक बातो को भुला भी दिया जाये तो कोई नुकसान ना होगा ,
पर वर्तमान हालात को कन्द्रित कर अगर ''नारी '' को समझने की कोशिश की जाये ,तो काफी होगा ,
''जगत जननी नारी ''का स्थान क्या हो ,ये तये करना नारी ,का विषय है या पुरुष का ?
पता नही किसी ''स्थान'' की बाते हम क्यों करते हैं ,
आवश्यकता तो बस इतने की है की जो हक़ जिसका हो उसको मिले ,
जीवन सबके लिये बराबर ही तो है ,''स्थान ''का सवाल रहेगा तो ...मैं इस स्थान पे रहूगा तुम उस स्थान पे रहो गी ...,ये सब यु ही चलता रहेगा ,स्थान की बात छोड़ कर मानवता के दृष्टिकोण से देखे तो शायद इतियाहस से सिखने की जरुरत नहीं ,वर्तमान काफी होगा ,
बस आज से मैं तो वर्तमान में जियूगी और अपना हक़ ले के रहूगी,...''इस दिवस को ऐसे ही मानोउगी वर्तमान में जीकर ''...,!
अच्छी सोच।
ReplyDeleteअच्छे विचार।
शुभकामनाएं आपको।
एक कमी है जिस पर बाद में चर्चा करेंगे फिलहाल महिला दिवस को अच्छे से प्रस्तुत करने के लिए बधाई।