कितना कुछ चाहत होती कभी
पर कभी ऐसे ही खयालो में गुम हो जाती
कभी कुछ बातो को शब्द नहीं
तो कभी कुछ कविताओं को मेरी रजामंदी नहीं
आज भी अधूरी सी रीनाकारी
जाने उसे कुछ पहचान क्यों नहीं मिलती
पर कभी ऐसे ही खयालो में गुम हो जाती
कभी कुछ बातो को शब्द नहीं
तो कभी कुछ कविताओं को मेरी रजामंदी नहीं
आज भी अधूरी सी रीनाकारी
जाने उसे कुछ पहचान क्यों नहीं मिलती
जाने उसे कुछ मुकाम क्यों नहीं मिलता
.लाज़वाब अभिव्यक्ति..आभार
ReplyDeleteवाह कोमल भावो को बहुत सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है।
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