“ सूना है सबके साथ तू न्याय करता
फिर तू क्यों इन से आंख चुराए रहता
तेरी दुनियां के हैं ये
फिर क्यो इंसान इनको इंसान नहीं कहता
जन्नत में क्या तेरी जगहां कम है ?
चादर जो इन पर कम हैं
ले ले ना कुछ मोती इनकी आंखों से
कोई छत इनको भी दिला
क्या जाए गा तेरा
सुना है
जिनका कोई नहीं उनका खुदा है
फिर इनका खुदा कहां है
क्यो ये कोड़ी रोज यहां बैठा
क्यो इस औरत का तन नहीं ढका
क्यो इस बच्चे को मां का साया ना रहा
क्यो इस का बाप शराब में धूत पड़ा
क्यो मेरे आगे ये भीखारी खड़ा
क्यो मेरा माथा चढ़ा
क्यो मेरा मन ना भरा
एक छोटा सा रुपिया ना कटोरे में डला
क्यो में इंसान बना क्यो तू मेरा खुदा
जन्नत में क्या तेरी जगहां कम है ?
ReplyDeleteचादर जो इन पर कम हैं
bahut khubsurat Rachna
behtreen bhav
thank u
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