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Wednesday, December 14, 2011

सुना है




सूना है सबके साथ तू न्याय करता 
फिर तू क्यों इन से आंख चुराए रहता
तेरी दुनियां के हैं ये
फिर क्यो इंसान इनको इंसान नहीं कहता
 जन्नत में क्या तेरी जगहां कम है ?
चादर जो इन पर कम हैं
ले ले ना कुछ मोती इनकी आंखों से
कोई छत इनको भी दिला
क्या जाए गा तेरा
सुना है
जिनका कोई नहीं उनका खुदा है
फिर इनका खुदा कहां है
क्यो ये कोड़ी रोज यहां बैठा
क्यो इस औरत का तन नहीं ढका
क्यो इस बच्चे को मां का साया ना रहा
क्यो इस का बाप शराब में धूत पड़ा


क्यो मेरे आगे ये भीखारी खड़ा
क्यो मेरा माथा चढ़ा
क्यो मेरा मन ना भरा
एक छोटा सा रुपिया ना कटोरे में डला
क्यो में इंसान बना क्यो तू मेरा खुदा

2 comments:

  1. जन्नत में क्या तेरी जगहां कम है ?
    चादर जो इन पर कम हैं
    bahut khubsurat Rachna
    behtreen bhav

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