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Wednesday, December 14, 2011

सवेरे का नजारा सच में कुछ अलग ही ऐसास देता है


सवेरे का नजारा सच में कुछ अलग ही ऐसास देता है 


कई दिनों के बाद सुबहा की शिफ्ट मिली घर से निकली जल्दी जल्दी करते देरी – देरी का गाना गाते फटाफट से नाशता कर लू आखिर ऑफिस तो रोज जाना है ...तो क्या देर हुई तो भूखी क्यों जाऊ...अपने आप से बात करते ...ओफिस निकलने की तैयारी में काम करते ...अब निकल गई घर से ओह ओह... कितनी देर हो गई कोई ऑटो भी खाली नहीं आता दिख रहा हम्म्म... आखिर स्कूल का समय है सब स्कूल के बच्चों से भरें हैं ... १५ मिनट के बाद कोई ऑटो वाला मिला और किसी तरहा में मेट्रो स्टेशन पहूंच गई ...ऑटो वाले को पैसे दिये और चल दी जल्दी जल्दी मेट्रो की ओर... सारी दूकाने बंद सब पर ताले लगें हैं सड़क पर झाडू मारने वाले हैं जो नीचे जमीन पर देखे बस अपना काम कर रहें हैं ...उनकी झाडू से उठती जमीन से धूल जैसे सुबहा की ठंण्ड में जम गई हैं आकाश तक उड़ान भरना चहाती हो पर इस ठण्ड ने उसे सीमित कर दिया हो ...और मैं उससे बचती मूहं पर कपड़ा रखे आंखों पर चश्मा हर चीज़ पर विचार करती अपने आप से बाते करती चले जा रहीं हूं जैसे ना जाने आज क्या होगया है विचार थम हि नहीं रहे ...कुछ अजीब सा मन है आज हर चीज पर विचार मंथन तेज हैं ...ओह वहा क्या नजारा है जैसे ही उगते सूरज पर नजर पढ़ी सब बदल ही गया प्रती हूआ ...झाडू से उड़ती धूल सफेद कोहरे सी लगने लगी आंखों पर लगा चश्मा हटाना पड़ा खूबसूरत बेहद खूब सूरत क्या बात  है कीतना सुनहरा सवेरा स्कूल के दिन याद आए स्कूल बस से इसी नजारे को देखती थी जब घर से निकलती थी... तो अंधेरा ही होता था... स्कूल  बस में बैठे वो ठीठूरना और खिड़की से बहार झांकते जाना और लो उजाला हो गया स्कूल पहूंचने से पहले सूरज उगता था क्या खूब लगता था ...हम्म्म... लम्बीं सी सांस छोड़ते काश वो दिन जीने को फिर मिल जाए ...कितना अच्छा लगता था स्कूल जाना और कितना बोर है ऑफिस जाना और एक ही काम करना ....एक क्षण को ऐसे लग रहा हैं मानो अभी मेरी स्कूल बस आए और मुझे स्कूल ले जाए ....हॉय मेरा स्कूल कीतना अच्छा था और वो दिन ...बस जल्दी चलूं लेट हो गया आज हे भगवान देर हो गई ...हाहाहाहा...अपने आप से बात करते चूप कर लेट होगई या कर दी ... चल जल्दी और कदमों की रफ्तार तेज करते रास्तें में एक मोड़ पड़ता है छोटा सा जहां हर शनिवार को तेल के साथ धूप लगी होती है जिसमें कूछ लोग आस्था और शर्धा के चलते पैसे डालते हैं मै भी कभी – कभी डाल देती हूं जिसका एक फायदा मुझे खूब अच्छा लगता है शनिवार का दिन कभी नहीं भूलती ...लो आगई मेट्रो की सीढ़ियां चलो जल्दी से आज ही सारी बातें सोच लो गी क्या ...अरे यहां भी कीतनी भीड़ है लेडीज चैकींग पर लो आज कल लड़कियां बराबरी पर हैं ..बहार निकल रही है
..हम्म्मम...महीलासशक्तिकरण ...हो रहा है शुरुआत मैं कहां मेट्रो पर इतनी भीड़ थी लेडीज की आज कल तो बढ़ती जा रही है ...चलो अच्छा है लम्बी लाईन की असुविधा जरुर हो जाए पर फायदा तो होगा समाज का मिजाज़ तो बदले गा शायद ....और फिर इसी के चलते तो लेडीज कोच भी मिल गया और भी हक मिल जाएगें ... चलो निपटा कार्यकर्म मेट्रो में बैठी ...आह...तेज सांस और आखबार निकाला खबरे पड़ने लगी ...फिर से कुछ मेट्रो का सघंर्ष मेट्रो बदलनी भी पड़ती है मुझे मेरे ऑफिस तक जाने के लिए बदलने मे क्या है... दरवाजे पर खड़े हो जाओ ...खूद ही लोग बहार निकाल देगें ...साथ में चिल्लाऐं गे ..अरे भाई पहले बहार तो निकलने दो तभी तो अन्दर घूसो गे ...रोज ये सुनती हुं ...पर घसने वाले कभी नहीं कहते दिखते अरे पहले बहार आने दो फिर अंदर आएगें ... जाने वो सभ्य लोग मेट्रो में चढ़ते वक्त क्यों नहीं मिलते  ...बहुत मिस करती हूं मैं उन्हें रोज शनिवार के धूप – तेल के जैसे ...पर शनिवार तो आ जाता हैं पर वो सभ्य लोग मुझे मेट्रो में चढ़ते कभी नहीं मिले...काश कभी मिलें ..उम्मीद पे दुनियां कायम हैं ....मेट्रो से उतरी और अब अपने ऑफिस की ओर कदम बढातें जल्दी – जल्दी चलना ऑफिस की ओर जाते – जाते धूप भी खूब तेज हो जाती हैं .... पटरी पर सोते भीखारी और कुछ दुकानो के बहार सोते कर्मचारी और मजदूर ...मुझे तो अपने कमरे में ही ठण्ढ लगती है और इन लोगो को तो खुले में सोना पड़ता हैं मौस विभाग का अनुमान है आने वाले दिनों में और भी ठण्ढ बढ़ेगी ...कैसे ये लोग सर्दी का सामना करेंगें ...अपने आप से बाते करते पहुंच गई अपनी पत्रकारिता की दूनिया में जहां मुफ्त में पत्रकार काम करतें है ...तो कुछ ना मात्र वेतन पर फिर लगता है कुछ अनुभव के लिए ये ही ठीक आखिर कोशिश तो करनी होगी ..और फिर उम्मीद पर दूनिया कायम है ...कुछ चमत्कार की उम्मीद करना कोई गलत बात नहीं ...जब तक ना थको तो ये ही सही ...वरना पत्रकारिता को पत्र लिख कर पत्राचार से करने की कोशिश करेंगें और बीना कार्यस्थल पर जाए बीना वेतन के कार्य करेंगें

2 comments:

  1. बहुत कठिन है डगर.....

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  2. Fursataai'n Milai'n Jab Bhi... Ranjishai'n Bhulaa Dena........
    Kon Jaanay Saanso'n ki... Mohlatai'n kahan thak Hai'n.....!! Happy New Year 2012

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