आजाता है जीकर उनका हर बार कुछ इस तरहां ,
उनका जीकर भी ना करू ,आजाता है जीकर उनका हर बार कुछ इस तरहां ,
वो कहते हैं हमारी बाते ना करो ,आ जाती हैं उनकी बाते हर बार कुछ इस तरहां ,
वो हम से रूट कर दूर निकल चले ,आ जाते हैं फिर हर बस साथ हमारे कुछ इस तरहां ,
जैसे चाँद से चांदनी रूठ कर चले ,ऐसा है उनका रिश्ता हर बार हमसे कुछ इस तरहां ,
भला कैसे उनकी बातो पर गोर करू ,हर बात उनकी हमे अपनी सासों जैसे लगे ,
किसी की याद में अब हम कलम उठाते हैं
ReplyDeleteतमाम रात सितारे गजल सुनाते हैं