कुछ तो गुब्बार लिए दिल में चलु मैं ,
सामने वाले को कुछ ना जानु मैं ,
कुछ तो गुब्बार लिए दिल में चलु मैं ,
हो जाने दो तक्कदीरो से टक्कर मेरी ,
इस क़दर बेखबर चलुं मैं
यूं कब तक दिल में समेटे खव्वाब़ चलु मैं
सब से ना सही ना मिलुं मैं
बस एक मरदफ़ा खुद से मुलाक़ात करु मैं ,
कुछ तो गुब्बार लिए दिल में चलु मैं
अच्छी भावनाएं....
ReplyDeleteपर ...
गुब्बार नहीं गुबार
चलु नहीं चलूं
जानु नहीं जानूं
तक्कदीरो नहीं तकदीरों
खव्वाब नहीं ख्वाब
मिलुं नहीं मिलूं
खूबसूरत रचना, अच्छे शब्द
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