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Monday, November 7, 2011

सब इतना तंग क्यों




सब इतना तंग क्यों
तंग है खुशियों के पल
तंग है संग उनके हम
इतना तंग है प्यार क्यों
तंग है वक़्त तेरे पास
  तंग है सब तंग से क्यों
सब इतना तंग क्यों

2 comments:

  1. 'सब इतना तंग क्‍यों....'
    यही तो जिंदगी का रोना है।
    जिस दिन ये खत्‍म हो जाए.... जीने का मजा बढ जाए।
    इंसानी 'तंगहाली' का सुंदर चित्रण।

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