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Thursday, February 10, 2011

हम आखे नही मुदेगे ,

मंजिल ने दस्तक दी हैं ,
करीब हैं कुछ संकेत मिले हैं ,
जिनको हम छुवे हैं ,
कल समय तुम्हारा था ,
जो चाह कर लिया ,
आज बारी हमारी हैं ,
मोका मिला जो उसको कैसे जाने देगे ,
की थी मुलाकात हमसे उसको कैसे भुलादे ,
मुदद्तो के बाद आया है ,मोका
कहो उसको कैसे गवा देगे ,
कुछ क़र्ज़ हम पर दुनिया के ,
जिनको लोटाये बिना हम आखे नही मुदेगे ,

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