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Friday, February 4, 2011

अरे सुषमा जी


अरे सुषमा जी देश में शांति ,अछी नही लगती क्या ?


झंडा फ्हेराना शांति से जयादा है ,झंडे का मान तभी होगा जब देश में शांति होगी ,,,


'''माँ बहेनो ने कायर जने है '''


तो आप माँ ,बहेन नही हो क्या ? भारत की सभ्यता ,संस्कृति का अपना महत्व है ,,


ऐसी बाणी बोलिए जो सबको अच्छी लागे ,,,


क्या सारी कायरता जम्मू कश्मीर जा कर दूर होगी वहा झडा फ्हेरा कर ,


पर जो देशद्र्हो ,भर्ष्टाचार ,घोटाले के मामले आये दिन खुल रहे हैं ,उनके लिये आप कुछ जनि है या नही ?


जो मिला है उससे तो शम्भाल लो ,कश्मीर कश्मीर ..कर के आग मत लगाओ ,कभी बाबरी मजिद,पर रोटी सेकना कभी किसी मूदे पर ..बाबरी में इंधन ख़तम होगया तो अब कश्मीर में जान फूको ,,,पर देश के झंडे का मान तभी होगा जब शांति और अमन बना रहेगा ,


और भ्रह्ष्टाचार ,काले धन ,आदि का पर्दा फाश होगा और दोषियों को सजा मेले गी ,


सरकार रोक रही है ,मान लो तो क्या ..?


जब कारगिल में जवान शहीद हुवे ,मुंबई ,ताज ,मालेगाव ,आदि हादसे हुवे और हादसों में शिकार लोगो को एक एक झंडा पकड़ा दिया होता ....????क्या पता इससे बदल जाता कुछ अच्छा होजाता ,,


तो झंडा ले कर पहुच जाया करो हर हादसे के बाद ,,मैडम जी झंडे का मान जरुरी है वो ही देश प्रेम है ...,झंडे की शान को बने रहेने दो ,,,ऐसे कापते हाथो से झंडे को मत उठाओ जिससे उसके अपमानित होने का भय बना रहे ,,,,.

2 comments:

  1. रीना जी..आपकी कोशिश यक़ीनन बेहतरीन है पर पोस्ट प्रकाशित करने से पहले टाईपिंग की ग़लतियों पर नज़र ज़रूर डाल लिया किजिये..लफ़्ज़ बड़े ज़ालिम होते हैं..ज़रा-ज़रा सी बात पर माएने बदल देते हैं..

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  2. धन्यवाद सर जी हमारी होसला अफजाई का ,
    सही कहा ,
    लफ्ज़ बड़े जालिम होते हैं ,
    जिनके अर्थ भी कम ज़ालिम नही होते ,

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